Photo by Aleksandr Popov on Unsplash ‘कुछ मत कहो’
यही कहा था तुमने
एक बार,
कई बार
गले से लिपट के मेरे,
और फिर मैंने कुछ भी नहीं कहा।
आज बरबस ये बात याद आई
और लगा कि
मेरी कही सारी बातों से
ज्यादा सुकून मुझे उन
थरथराते सिमटते पलों में
तुमसे कुछ न कहने का है।